सहकार भारती का राष्ट्रीय अधिवेशन: सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा
अमृतसर, पंजाब। सहकार भारती ने 6 से 8 दिसंबर 2024 के बीच अमृतसर में अपने तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया। इस आयोजन ने सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की। देशभर के 28 प्रांतों और 650 जिलों से आए 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। यह आयोजन सहकारिता के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने और इसके लाभ हर वर्ग तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
अधिवेशन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाहक श्री दत्तात्रेय होसबोले ने किया, जिन्होंने सहकारिता के भारतीय संस्कृति में महत्व को रेखांकित किया। समापन समारोह में केंद्रीय परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अध्यक्षता की और सहकारिता को आत्मनिर्भर भारत का आधार बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सहकारिता आंदोलन का उद्देश्य
सहकार भारती का उद्देश्य सहकारिता को एक सशक्त आर्थिक प्रणाली के रूप में स्थापित करना है। यह आंदोलन समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, आत्मनिर्भरता और समृद्धि लाने के लिए प्रयासरत है। सहकारिता के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों को एकीकृत कर सामूहिक विकास की ओर ले जाने का प्रयास इस अधिवेशन के केंद्र में रहा।
दत्तात्रेय होसबोले ने उद्घाटन भाषण में कहा,
“सहकारिता भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह केवल आर्थिक समृद्धि का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को संगठित करने का सशक्त उपकरण है।”
समापन समारोह में नितिन गडकरी ने कहा,
“सहकारिता की ताकत भारत के आत्मनिर्भर बनने की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है। हमें इसे नवाचार, पारदर्शिता और तकनीकी विकास के साथ आगे बढ़ाना होगा।”
अधिवेशन की प्रमुख उपलब्धियां
1. नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन
अधिवेशन का मुख्य आकर्षण सहकार भारती की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन था। यह कार्यकारिणी अगले तीन वर्षों तक सहकार भारती के उद्देश्यों को राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर आगे बढ़ाएगी।
नई कार्यकारिणी के प्रमुख पदाधिकारी:
राष्ट्रीय अध्यक्ष: डॉ. उदय जोशी
महामंत्री: श्री दीपक चौरसिया
संगठन मंत्री: श्री संजय पंचपोर
डॉ. उदय जोशी ने अपने संबोधन में कहा:
“सहकारिता का उद्देश्य केवल आर्थिक सुधार नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य समाज के प्रत्येक वर्ग को सशक्त बनाना है।”
2. ग्रामीण विकास पर विशेष जोर
अधिवेशन में सहकारिता को ग्रामीण विकास का आधार बनाने पर गहन चर्चा हुई।
सहकारी समितियों को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का साधन बताया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी बैंकों की भूमिका को और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।
3. महिला सशक्तिकरण पर ध्यान
महिलाओं को सहकारी समितियों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
महिला सहकारी समितियों का विस्तार।
महिलाओं के लिए वित्तीय सहयोग और कौशल विकास कार्यक्रमों की रूपरेखा।
4. युवाओं की भागीदारी बढ़ाना
युवाओं को सहकारिता आंदोलन से जोड़ने के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की गई।
युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए सहकारी समितियों का उपयोग।
सहकारिता के महत्व और इसके लाभों के बारे में युवाओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम।
5. तकनीकी नवाचार और डिजिटल युग का उपयोग
सहकारी संस्थाओं में डिजिटल तकनीक और नवाचार को अपनाने पर विशेष जोर दिया गया।
सहकारी समितियों में डिजिटल भुगतान और तकनीकी समाधानों को बढ़ावा।
सहकारी बैंकों में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
अधिवेशन में छत्तीसगढ़ की भूमिका
छत्तीसगढ़ प्रांत ने अधिवेशन में अपनी उल्लेखनीय भागीदारी दर्ज कराई। प्रांत के प्रतिनिधियों ने सहकारिता आंदोलन में अपने अनुभव और सफलताओं को साझा किया।
प्रमुख प्रतिनिधि:
सहकार भारती राष्ट्रीय अधिवेशन: छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों की विशेष भागीदारी
अमृतसर में आयोजित सहकार भारती के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में छत्तीसगढ़ प्रांत ने अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज की। राज्य से बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने इस अधिवेशन में भाग लिया और सहकारिता आंदोलन में अपने योगदान को साझा किया।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रतिनिधि और उनकी भूमिका
प्रांतीय पदाधिकारी:
1. श्री राधेश्याम चंद्रवंशी (प्रांत अध्यक्ष, कवर्धा)
2. श्री कनीराम (महामंत्री, रायपुर)
प्रांत में सहकारी समितियों को मजबूत बनाने के प्रयास।
3. श्री सत्येंद्र शर्मा (उपाध्यक्ष, बिलासपुर)
4. श्री रामप्रकाश केशरवानी (कोषाध्यक्ष, जांजगीर)
विशेष अतिथि और प्रमुख सदस्य:
5. श्री नरेश मल्लाह (मछुआ प्रकोष्ठ संयोजक, बेमेतरा)
मछुआरों के लिए सहकारी योजनाओं के विस्तार में योगदान।
6. श्री घनश्याम तिवारी (बिलासपुर)
7. डॉ. जया द्विवेदी (मंत्री, बस्तर)
8. श्री मनोज तिवारी (प्रांत मंत्री, रायपुर)
अन्य प्रमुख सदस्य:
9. श्री गणेशराम साहू (सक्ति)
10. श्री बीडी शर्मा (कोरबा)
11. श्री जितेंद्र साहू (कोरबा)
12. श्री रघुनंदन पटेल (चांपा)
13. श्री नरेंद्र जायसवाल (जांजगीर)
14. श्री मिथलेश भोई (बीजापुर)
15. श्री लखनलाल गुरुपंत (बालोद)
16. श्री वेदराम वर्मा (बलौदाबाजार)
17. श्री चंद्रहास बाइक (रायपुर)
छत्तीसगढ़ की उपलब्धियां और अनुभव
- छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए सहकारिता के क्षेत्र में प्रांत की सफलताओं का उल्लेख किया।
- किसानों के लिए सहायता: सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सहयोग।
- मछुआरों के लिए योजनाएं: सहकारी संस्थाओं के माध्यम से मछुआरों को सशक्त बनाना।
- महिला सशक्तिकरण: ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास।
छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों ने अधिवेशन में सहकारिता के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य के अनुभवों को प्रस्तुत किया और अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।
प्रांत अध्यक्ष श्री राधेश्याम चंद्रवंशी ने कहा:
“छत्तीसगढ़ में सहकारिता के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक विकास के लाभ पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह अधिवेशन हमारे लिए एक प्रेरणा है।
छत्तीसगढ़ की मजबूत भागीदारी ने सहकारिता आंदोलन में राज्य की प्रतिबद्धता और योगदान को स्पष्ट किया।
प्रमुख उपलब्धियां:
- किसानों के लिए सहकारी समितियों द्वारा वित्तीय सहायता।
- मछुआरों और छोटे व्यापारियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयास।
अधिवेशन के मुख्य बिंदु
1. ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता का विस्तार
- सहकारिता को ग्रामीण विकास और सामाजिक समृद्धि का आधार बनाने पर चर्चा।
- सहकारी बैंकों और समितियों की पहुंच बढ़ाने के उपाय।
2. महिला और युवा सशक्तिकरण
- महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं।
- युवाओं को नेतृत्व और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए सहकारी आंदोलन से जोड़ने की पहल।
3. तकनीकी नवाचार और डिजिटलीकरण
- सहकारी संस्थाओं में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए तकनीकी समाधान।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सहकारी समितियों और बैंकों का सशक्तिकरण।
4. प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम
- सहकारिता के लाभों और इसके महत्व के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम।
अधिवेशन की सांस्कृतिक और प्रेरणादायक विशेषताएं
तीन दिवसीय इस अधिवेशन में सहकारिता आंदोलन के महत्व पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इसके साथ ही, भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।
प्रेरणादायक उद्बोधन
श्री दत्तात्रेय होसबोले और श्री नितिन गडकरी ने सहकारिता आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए अपने विचार व्यक्त किए।
सहकारिता को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में योगदान देने के लिए योजनाएं प्रस्तुत की गईं।
सांस्कृतिक आयोजन
अधिवेशन में भारतीय कला, संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने वाले विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह सहकारिता आंदोलन के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करने का प्रयास था।
भविष्य की योजनाएं
1. युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम
युवाओं को सहकारिता के लाभ और इसके महत्व से अवगत कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
2. महिला सहकारी समितियों का विस्तार
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नई सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा।
3. डिजिटलीकरण
सहकारी संस्थाओं और बैंकों में डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग किया जाएगा।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार
ग्रामीण इलाकों में सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों को प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
5. शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम
सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
समापन समारोह
अधिवेशन का समापन “जय सहकार” के नारों के साथ हुआ। समापन समारोह में सभी प्रतिनिधियों ने सहकारिता आंदोलन को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
नितिन गडकरी ने कहा
“सहकारिता का दायरा केवल आर्थिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा माध्यम है, जो समाज को एकजुट कर सकता है और भारत को आत्मनिर्भर बना सकता है।”
यह अधिवेशन सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाने और इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। सहकार भारती ने यह स्पष्ट किया कि सहकारिता केवल आर्थिक समृद्धि का साधन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सुधार और सामूहिक सशक्तिकरण का भी माध्यम है।
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