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आज से गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क का लुत्फ उठा सकेंगे क्षेत्रवासी, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, आज से आम लोगों के प्रवेश का हुआ शुभारंभ, लोकार्पण समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न

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जिले की ऐतिहासिक धरती पर 29 करोड़ वर्ष पुरानी जीवाश्म हमारे क्षेत्र के लिए है गौरव का विषय…श्याम बिहारी जायसवाल

एमसीबी। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के विकासखंड मनेन्द्रगढ़ के आमाखेरवा क्षेत्र में आज गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क का लोकार्पण बड़े ही हर्षाेल्लास और गरिमामयी वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा मनेन्द्रगढ़ विधायक श्याम बिहारी जायसवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ वरिष्ठ अतिथि के रूप में नगर पालिका परिषद मनेन्द्रगढ़ की अध्यक्ष श्रीमती प्रतिमा यादव, उपाध्यक्ष धमेन्द्र पटवा, नई लेदरी नगर पंचायत अध्यक्ष वीरेंद्र राणा सभी जनपद सदस्य एवं पार्षदगण गणमान्य नागरिक एवं अधिकारीगण भी उपस्थित रहे। सबसे पहले स्वास्थ्य मंत्री द्वारा गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क का उद्घाटन रिबन काट कर किया, साथ ही पार्क में बने हजारों वर्षों से विलुप्त जीवाश्म का निरीक्षण करते हुए बम्बू राफ्टिंग में बैठकर हसदेव नदी का भ्रमण किया । तत्पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। छत्तीसगढ़ महतारी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दीप प्रज्वलित कर अतिथियों ने आयोजन को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की। इसके उपरांत अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं शॉल से स्वागत कर अभिनंदन किया गया। वनमंडल अधिकारी मनीष कश्यप ने गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह पार्क 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवन के अवशेषों का संरक्षण स्थल है। इस समुद्री जीवों के जीवाश्म आज भी आमाखेरवा क्षेत्र में सुरक्षित अवस्था में उपलब्ध हैं, जो पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास के महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। हसदेव नदी के तट पर स्थित यह स्थल प्राचीन जीवाश्म का हिस्सा रहा है, जहाँ आज भी समुद्री जीवन के प्राचीन अवशेष मिलते हैं। अब यह गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में इसे संरक्षित कर आमजन के लिए भी सुलभ बनाया गया है। गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क में वर्तमान में 35 जीवाश्म संरचनाओं की प्रकृतियाँ स्थापित की गई है, जिनमें से कई मूर्तियां राजस्थान सहित अन्य राज्यों के मूर्तिकारों द्वारा निर्मित की गई हैं। पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध बनाने के लिए बम्बू राफ्टिंग, वुडिंग, पैडल वॉकिंग जैसी रोमांचक गतिविधियां भी आरंभ की गई हैं। जैव विविधता के संवर्धन हेतु मंकी टेल, डेंगन बेलिया, कैप्स जैसे दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का रोपण कर इस स्थल को हरित एवं आकर्षक स्वरूप प्रदान किया गया है।
मुख्य अतिथि श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि आज का दिन मनेन्द्रगढ़ सहित पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है। गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क हमारे क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर है, जो विश्व स्तर पर छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाएगा। उन्होंने कहा कि यह पार्क न केवल 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवन के अद्भुत प्रमाणों का संरक्षण स्थल है, बल्कि पृथ्वी के भूगर्भीय विकासक्रम को समझने का अद्वितीय अवसर भी प्रदान करता है। जब धरती दो विशाल भूभागों लॉरेशिया और गोंडवाना लैंड में विभाजित थी, तब यह क्षेत्र समुद्री जीवन से परिपूर्ण था। आज उसी युग के जीवाश्म आमाखेरवा की धरती पर जीवंत प्रमाण स्वरूप उपलब्ध हैं, जो हमें हमारी धरती के प्राचीन इतिहास से जोड़ते हैं। जिनमें कई संरचनाएं छत्तीसगढ़ के फॉसिल पार्क से समानता रखती है । गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क इन मान्यताओं को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है, क्योंकि यहां मिले जीवाश्म इस बात का प्रमाण है कि कभी यह क्षेत्र एक समुद्र के नीचे था। इस पार्क की खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस. के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। जब कोयले की परतों के बीच उन्हें समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले, तो यह खोज भूगर्भीय विज्ञान के लिए बढ़ाने वाली थी। तब शोध में पता चला कि यह जीवाश्म पर्मियन युग के हैं और समुद्री जल में जीवन की विविधता की दर्शाते है। मंत्री श्री जायसवाल ने आगे कहा कि गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क का विकास न केवल ऐतिहासिक चेतना को सहेजेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन, रोजगार तथा आर्थिक गतिविधियों को भी नया आयाम देगा। उन्होंने वन विभाग और निर्माण एजेंसियों का आभार व्यक्त करते हुए क्षेत्रवासियों से इस धरोहर के संरक्षण तथा प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। समारोह में शामिल सभी अतिथियों एवं नागरिकों ने गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क का अवलोकन कर जीवाश्म संरचनाओं का नजदीक से अध्ययन किया और इसके वैज्ञानिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक महत्व को समझा। आयोजन स्थल पर उपस्थित जनसमुदाय के चेहरों पर उत्साह, गर्व और आश्चर्य का भाव स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था। सभी ने इस अनूठी धरोहर के संरक्षण हेतु अपनी प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। इस कार्यक्रम में ओम प्रकाश जायसवाल, अनिल प्रजापति, रामजीत लकड़ा, अनीता सिंह, उषा करियम, डॉ अविनाश खरे, महेंद्र प्रताप सिंह, डॉ कश्यप, डॉक्टर लाखन सिंह, मुक्त चौहान, डॉक्टर पुष्पेंद्र सोनी, संतोष सोनी, सोमेंद्र मंडल, संतोष नायक, धनीराम यादव, डॉ अतीक सोनी, एसडीएम लिंगराज सिदार, स्वप्निल सिंह सभी पार्षदगण और जनप्रतिनिधि, सभी अधिकारीगण और पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे।

देबाशीष गांगुली ( ब्यूरो प्रमुख सरगुजा संभाग )

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