बिलासपुर में नशे का अड्डा बनते चाय ठेले: युवा पीढ़ी की जिंदगी दांव पर, प्रशासन मौन ?
बिलासपुर, 24 मई 2025: छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर, जो तेजी से स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहा है, अब एक और गंभीर समस्या से जूझ रहा है—नशे की बढ़ती लत। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों और गलियों में चाय की टपरियों की आड़ में नशे का गोरखधंधा तेजी से फल-फूल रहा है।
चाय की आड़ में जहर परोसने का धंधा
पहले जहां चाय दुकानों का उद्देश्य केवल चाय-नाश्ता परोसना था, वहीं अब कई टपरियों पर खुलेआम सिगरेट, गुटखा, खैनी, नशीली गोलियां, गांजा और अन्य मादक पदार्थ आसानी से मिल रहे हैं। यह नशा धीरे-धीरे शहर की युवा पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है।
स्कूल-कॉलेज के छात्र, जिनका उद्देश्य सिर्फ दोस्तों के साथ चाय पीना होता है, अब धीरे-धीरे इन पदार्थों के आदी बनते जा रहे हैं। कुछ तो सिर्फ ‘शौक’ के लिए शुरुआत करते हैं, लेकिन यह लत बाद में उनके भविष्य को अंधकार में धकेल देती है।
युवाओं के भविष्य पर खतरा
माता-पिता और शिक्षकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। अभिभावकों का कहना है कि अब बच्चों को बाहर पढ़ाई के लिए भेजना भी डरावना लगता है क्योंकि हर मोड़ पर नशे का जाल फैला हुआ है। कई छात्रों की पढ़ाई छूट गई है और कुछ अपराध की दुनिया में भी जा पहुंचे हैं।
प्रशासन मौन या मिलीभगत?
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। जब नशे का यह धंधा इतने खुलेआम हो रहा है, तो क्या यह केवल लापरवाही है या फिर कहीं न कहीं मिलीभगत भी है? शहर के प्रमुख बाजार, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और शिक्षा संस्थानों के आसपास यह गतिविधियां खुलेआम हो रही हैं।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- कड़ी कानूनी कार्रवाई: ऐसे ठिकानों पर प्रशासन को तुरंत छापेमारी करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
- स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता: युवाओं को नशे के दुष्परिणाम समझाने के लिए नियमित जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है।
- अभिभावकों की भूमिका: बच्चों की गतिविधियों पर सतर्क निगरानी और खुलकर संवाद बेहद जरूरी है।
- गुप्त सूचना तंत्र: आम नागरिक प्रशासन को गोपनीय रूप से सूचित करें ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।
समाज की जागरूकता है ज़रूरी
यह केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को मिलकर नशे के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। मोहल्लों में जागरूकता अभियान, माता-पिता की सतर्कता और युवाओं की सकारात्मक सोच ही इस अंधकार को रोक सकती है।
यदि समय रहते बिलासपुर शहर में फैल रहे नशे के इस जाल पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह न केवल वर्तमान पीढ़ी को, बल्कि समाज की पूरी नींव को हिला सकता है। प्रशासन को इस मुद्दे को प्राथमिकता में लेकर सख्त कार्रवाई करनी होगी ताकि बिलासपुर का भविष्य नशे में नहीं, उजाले में सहेजा जा सके।
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