
राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित व्याख्यान
डॉ. संजय अलंग को छत्तीसगढ़ से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्यान देने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय मंचों पर आमंत्रित किया जाता रहा है। हाल ही में, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश साहित्य महोत्सव (ईटानगर), विश्व पुस्तक मेला (नई दिल्ली), आज तक साहित्य महोत्सव (नई दिल्ली), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU, वाराणसी) और रायपुर साहित्य महोत्सव में अपने व्याख्यान और कविता पाठ से श्रोताओं को संबोधित किया।
छत्तीसगढ़ इतिहास और संस्कृति पर गहन शोध
डॉ. अलंग इतिहास, संस्कृति और जनजातीय विषयों पर शोध कार्य करने के साथ-साथ व्याख्यानों के माध्यम से इन विषयों की गहरी व्याख्या भी करते हैं। उनकी शोध पुस्तक “छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति” को भारत सरकार का सर्वोच्च शोध सम्मान प्रदान किया गया, जिसमें उन्हें एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया था।
प्रकाशित पुस्तकें और सम्मान
डॉ. संजय अलंग की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें इस प्रकार हैं:
छत्तीसगढ़ की रियासतें और जमींदारियां
छत्तीसगढ़ की जनजातियां और जातियाँ
छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति इनके अलावा, उनकी कई अन्य शोधपरक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्हें शोध कार्यों के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं।
कविता संग्रह और साहित्यिक उपलब्धियाँ
इतिहास और संस्कृति के अलावा, डॉ. संजय अलंग ने काव्य लेखन में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके तीन प्रमुख हिंदी कविता संग्रह हैं:
शव
पगडंडी छिप गई थी (छत्तीसगढ़ पर केंद्रित)
नदी उसी तरह सुंदर थी जैसे कोई बाघ इसके अतिरिक्त, उनका छत्तीसगढ़ी भाषा में एक कविता संग्रह “मउहा कान म बोलय बांस” भी प्रकाशित हो चुका है। उन्हें उनकी कविताओं के लिए भी कई साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं।
डॉ. संजय अलंग के व्याख्यान और साहित्यिक योगदान से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और इतिहास को राष्ट्रीय मंचों पर पहचान मिल रही है। उनकी आगामी प्रस्तुति JNU दिल्ली में एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगी।
यह समाचार लेख डॉ. संजय अलंग के व्याख्यान और उनके योगदान को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। यदि इसमें कोई अतिरिक्त जानकारी या संशोधन की आवश्यकता हो तो बताइए!
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