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चिरमिरी में आयोजित कार्यक्रम तो धार्मिक था, फिर आस पास के नज़ारे राजनैतिक से क्यों आए नज़र? चुनाव आयोग बिल्कुल मौन? अब जवाब देगा कौन? भाजपा के इन्हीं हथकंडों पर सटीक बैठती कहावत, आम के आम गुठलियों के दाम?

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कथा सुनने आए श्रद्धालुओं के गले में डाले गए बीजेपी के गमछे, इर्द गिर्द नज़र आईं भाजपा की छोटी से बड़ी प्रचार प्रसार की गाड़ियों में नरेंद्र मोदी और भाजपा की प्रत्याशी सरोज पांडेय की तस्वीरें?

चिरमिरी। 26.04.2024 दिन शुक्रवार, लोकसभा क्षेत्र कोरबा में मौजूद विधानसभा मनेंद्रगढ़ के चिरमिरी शहर में बागेश्वर धाम से आए पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का आगमन एवं कथा कार्यक्रम का सफल आयोजन संपन्न हुआ, और बड़े ही खूबसूरती से यहां के नौजवानों ने कई हज़ारों की तादाद में आए श्रद्धालुओं की भरपूर सेवा की, इसमें वृद्धजनों के साथ ही औरतें बच्चे सभी शामिल थे, चिरमिरी शहर के लिए यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम और दिन बना, जिसकी तारीफों की गूंज प्रदेश तक पहुंची है।

मगर जहां एक तरफ चिरमिरी की धरा पर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के कदम पड़ते ही घंटों से इंतज़ार करते भक्तों की रगों में मानो भक्ति भाव की लहर सी दौड़ने लगी हो, पंडित धीरेन्द्र को पहली नज़र देखते ही लोग झूम उठे, वहीं उस भारी भरकम जनसैलाब का इस्तेमाल भी कोई निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए अलग ही ढंग से कर रहा था, इतने बड़े और सफल कार्यक्रम होने के बावजूद आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है? एक ही मंच पर धार्मिक कथा वाचक पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जिनके साथ ही नज़र आए छत्तीसगढ़ प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी नज़र आए, आचार संहिता लागू हो, बावजूद इसके एक साथ ही मंच साझा किया, वो भी उस वक्त जब छत्तीसगढ़ प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 का तीसरा चरण ठीक सामने हो? इससे साफ तौर पर यह समझ में आता है कि यह भाजपा का प्रोपगंडा ही तो है। चुनाव आयोग के आँखों में धूल झोंकते हुए इसे राजनैतिक कार्यक्रम करार देने से बचाया गया मगर जो‌ कुछ लोगों को दिखा वो सब सामने था, और सामने थीं कोरबा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय भी।

आइए हम आपको विस्तार से इसकी पूरी जानकारी देते हैं, छत्तीसगढ़ प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के तीसरे चरण को मात्र कुछ ही दिन या तो यूं कहें कि चंद हफ़्तों का समय शेष बचा है, वहीं लोकसभा कोरबा क्षेत्र में जैसा कि लोगों के बीच यह भी चर्चाएं सुनने को मिलती हैं कि कांग्रेस की सख़्त पकड़ आज से नहीं मगर कई ज़माने से इस क्षेत्र में बड़ी मजबूत रहते आई है, जो कि भाजपा के लिए एक तरह से ये बड़ी चुनौती है।

लोकसभा कोरबा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी चरणदास महंत की धर्मपत्नी ज्योत्सना महंत हैं भाजपा की प्रत्याशी सुश्री सरोज पांडेय है, हालांकि लोकसभा कोरबा क्षेत्र के चिरमिरी शहर से कांग्रेस के प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को और ना ही उनके पति चरणदास महंत को ना पहले कोई मतलब था ना ही चिरमिरी शहर या यहां के लोगों से अब कोई मतलब है जैसा कि चिरमिरी के आमजनों में भी यही चर्चाएं इस बार तूल पकड़ती दिखाई दे रही हैं, जिसका अच्छा खासा फायदा भाजपा को इस चुनाव में ठीक उसी तरह मिलने के आसार हैं जिस तरह हाल ही में बीते विधानसभा चुनाव 2023 में मिला और विधानसभा मनेंद्रगढ़ क्षेत्र को भाजपा से ना सिर्फ एक विधायक मगर मंत्री भी मिला छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल, मगर लोकसभा चुनाव 2024 में चुनाव से पहले ही लोकसभा कोरबा की सीट पर क्या भाजपा की रीति और नीति में ऐसे कई उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं? यदि ऐसा हुआ तो अब इसका खामियाजा भाजपा को काफी महंगा पड़ सकता है, वो कुछ इस तरह कि लोकसभा कोरबा के ज़्यादातर क्षेत्रों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ जैसी चुनौती को मात देने और लोकसभा कोरबा में अपने लिए नए अवसर तलाशने और तैयार करने के प्रयासों में भाजपा कुछ ज़्यादा ही मदहोश दिखाई देने लगी है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को ना ही चुनाव आयोग का डर भय रहा ना ही इनमें सही ग़लत की समझ नज़र आई?

ऐसा इसलिए भी होने‌ लगा है क्योंकि जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं को कहीं ना कहीं केंद्र और प्रदेश में बैठे भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदाधिकारियों के सख्त निर्देशों का कुछ इस तरह पालन करना पड़ रहा है कि ना केवल सरोज पांडेय के छवि पर मगर पार्टी की छवि पर भी उंगलियां उठने लगी हैं।

सनातन धर्म के बचाव और हिन्दू राष्ट्र पर खरी बोली बोलने वाले कथावाचक पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के आगमन पर आयोजित इस कार्यक्रम के धार्मिक वातावरण में भी बीजेपी ने प्रचार प्रसार के सुनहरे अवसर ढूंढ ही लिए, और जहां एक तरफ़ पंडित धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा हिन्दू राष्ट्र और सनातन की महत्वत्ता का पाठ कथा के रूप में पढ़ाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने लोगों को रोक रोक कर उन्हें भाजपा का पट्टा तो कहीं गमछा पहनाने में अस्त व्यस्त मस्त मग्न मुग्ध हो चुके थे, आदेश प्रत्याशी सरोज पांडेय ने दिया हो या फिर आदेश पार्टी के हाई कमान से आया हो, प्रचार प्रसार में नज़र तो भाजपा और पार्टी का लोगो ही नज़र आ रहा था। जिस पर चुनाव आयोग की सख़्त नज़रें थीं मगर इस पर भी सबने चुप्पी साधे रहना ही बिल्कुल उचित क्यों समझा? पार्टी है बड़ा चुनाव आयोग या चुनाव आयोग से बड़ी हो गई भाजपा पार्टी? और सब कुछ सामने होता देख चुनाव आयोग के सक्षम अधिकारी चुप थे भी तो आखिर क्यों? कहीं इसलिए तो नहीं कि मौजूदा समय में केंद्र में भी और राज्य में भी सत्ता शासन में यही लोग हैं जिन्हें ना ही आदर्श आचार संहिता से कोई खास मतलब है ना ही चुनाव आयोग का कोई डर या भय? चुनाव आयोग की गरीमा पर उठ रहे इन सवालों की असली वजह वे लोग ही हैं जिन्होंने कथा सुनने आए लोगों को लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से भाजपा का गमछा पहनाया और वोट भाजपा में डालने की भी अपील की, जैसा कि वहां आए लोगों में ये चर्चाएं सुनने और देखने को मिलीं।

अब सबसे बड़ा मुख्य सवाल इस पूरे मामले पर कुछ इस तरह उठता है कि 26.04.2024 दिन शुक्रवार को चिरमिरी शहर में आयोजित इस भव्य और खूबसूरत से कार्यक्रम का उद्देश्य तो चिरमिरी भाजपा के लिए क्या था? आयोजित कार्यक्रम जैसा कि बताया गया, यहां के श्रद्धालुओं के लिए था, हज़ारों हज़ारों की तादाद में उमड़ी जनसैलाब तो पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के दर्शन एवं कथा सुनने आई थी, तो वहां भाजपा पार्टी का प्रचार प्रसार खुलेआम उस उक्त स्थान पर कैसे और क्यों संपन्न हुआ? बड़ी गाड़ियों में सरोज पांडेय की तस्वीरें, भाजपा के दिग्गज नेताओं की तस्वीरें और फिर लोगों को पकड़ पकड़ कर भाजपा का गमछा पहनाने वाले भाजपाई भी उस पावन पवित्र धार्मिक माहौल को भी अवसर में बदलने और निजी स्वार्थ की पुर्ति करने से आखिरकार बाज नहीं आए और चुनाव आयोग भी क्यों मुख दर्शक बना रहा? यह हमारे खबर लिखने तक तो मात्र एक सवाल ही है, जिसका जवाब शायद ही दिया जाए?

देबाशीष गांगुली ( ब्यूरो प्रमुख सरगुजा संभाग )

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