नई दिल्ली: आजाद भारत का पहला कुंभ मेला 1954 में प्रयागराज में आयोजित किया गया, और यह मेला इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। इस कुंभ मेला में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संगम में डुबकी लगाई थी, जो उस समय एक ऐतिहासिक घटना के रूप में सामने आई थी। इसके अलावा, इस कुंभ मेले की तैयारी और आयोजन में कई विशेषताएं थीं, जो इसे और भी यादगार बना देती हैं।
कुंभ की तैयारी और प्रशासन
आजादी के बाद यह पहला कुंभ मेला था, और इसकी तैयारी बड़े पैमाने पर की गई थी। प्रदेश सरकार ने महीनों पहले ही आयोजन की तैयारी शुरू कर दी थी। सेना और लोक निर्माण विभाग ने मिलकर पीपे के पुल बनाए थे, जबकि रेलवे क्रॉसिंग पर फुटओवर ब्रिज भी बनाए गए थे। पहली बार कुम्भ मेला में एक हजार स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं थीं, और भीड़ में व्यवधान न हो इसके लिए लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तंबुओं में अस्थाई अस्पतालों की व्यवस्था की गई थी, जहां एंबुलेंस और चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध थी।
स्वास्थ्य और सुरक्षा की पहल
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। मेले से पहले टीकाकरण अभियान चलाया गया, ताकि बीमारियों का फैलाव रोका जा सके। मेले के दौरान किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए लगभग 250 मन कीटनाशक का छिड़काव किया गया था। इसके साथ ही, संगम के क्षेत्र में गंगा की कटान रोकने के लिए विशेष मशीनें लगाई गईं, और स्नान के पहले 15 दिनों तक लगातार प्रयास के बाद कटान को रोका जा सका था।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की उपस्थिति
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने मेला स्थल का निरीक्षण किया था और नाव से तथा पैदल चलकर कुम्भ की तैयारियों को देखा था। कुंभ के दौरान, राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद किले में रुके थे और किले की छत से मेला देखा था। वह स्थान आज “प्रेसीडेंट्स व्यू” के नाम से जाना जाता है।
स्नान पर्व और दुर्घटना
1954 के कुंभ में मौनी अमावस्या के दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संगम में स्नान करने आए थे। उसी दिन संगम क्षेत्र में एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण एक हादसा हुआ था। इसके बाद से कुम्भ मेला क्षेत्र में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
वीआईपी की मेला क्षेत्र में प्रवेश पर रोक
कुंभ मेले में इस घटना के बाद से वीआईपी के संगम क्षेत्र में जाने पर रोक लगा दी गई थी। पंडित नेहरू ने ही यह आदेश दिया था कि प्रमुख स्नान पर्वों पर किसी वीआईपी को संगम क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं होगी। यह परंपरा आज भी जारी है, और महाकुंभ, अर्द्धकुंभ या बड़े स्नान पर्वों के दौरान वीआईपी के प्रवेश पर रोक लगाई जाती है। 1954 का कुंभ मेला आजाद भारत के इतिहास का अहम हिस्सा है। इस कुंभ में किए गए व्यवस्थापन और सुरक्षा उपायों ने इसे एक बेहतरीन आयोजन बना दिया। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की उपस्थिति ने इसे और भी ऐतिहासिक बना दिया।
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