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कोप्पल में अनेगुंडी सस्पेंशन ब्रिज दुर्घटना: 6.62 करोड़ के निर्माण कार्य से 5000 करोड़ तक मुआवजे का दावा

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कोप्पल, कर्नाटक – कोप्पल जिले में अनेगुंडी सस्पेंशन ब्रिज के गिरने का मामला एक नया मोड़ ले चुका है। जिस निर्माण कार्य की लागत मात्र 6.62 करोड़ रुपये थी, उसी परियोजना के लिए अब ठेकेदार द्वारा 5000 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा मांगा जा रहा है। इस मांग से राज्य सरकार गंभीर कानूनी और वित्तीय जटिलताओं में उलझी हुई है।

 

परियोजना की पृष्ठभूमि

अनेगुंडी सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण कार्य 1993 में स्वीकृत हुआ था। इस परियोजना को NABARD की ऋण सहायता योजना के तहत प्रारंभ किया गया और 1997 में हैदराबाद के बीवी सुब्बारेड्डी एंड संस कंपनी को ठेका दिया गया था। 1999 में हम्पी के विश्व धरोहर स्थल घोषित होने के बाद परियोजना को रोक दिया गया था। 2005 में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद यूनेस्को की अनुमति प्राप्त कर उसी कंपनी को 6.62 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का मौका मिला।

 

निर्माण में अनियमितताएँ और हादसा

निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार को तकनीकी डिजाइन, ड्राइंग्स एवं निर्माण योजना तैयार कर संबंधित विभाग से मंजूरी लेने की आवश्यकता थी। किन्तु कंपनी ने बिना आवश्यक परमिशन के कार्य प्रारंभ कर दिया। परिणामस्वरूप, 22 जनवरी 2009 को ब्रिज का अंतिम 24 मीटर का हिस्सा डाला जा रहा था, तभी पुल अचानक ढह गया। इस हादसे में आठ मजदूरों की मौत हो गई और 41 मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। लोक निर्माण विभाग (PWD) को इस दुर्घटना से 5.95 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

 

कानूनी लड़ाई और बढ़ती मुआवजा मांग

हादसे के पश्चात ठेकेदार बीवी रेड्डी ने 2012 में गंगावती कोर्ट में सरकार के खिलाफ 7 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगने का मामला दर्ज किया। 2021 में कोप्पल जिला अदालत ने सरकार को ठेकेदार को 5.64 करोड़ रुपये (18% वार्षिक ब्याज सहित) भुगतान करने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने धारवाड़ हाईकोर्ट में अपील दायर की। इसके बाद ठेकेदार ने जिला अदालत में 24% ब्याज सहित 7 करोड़ रुपये की मांग की, जिसे मान्यता मिली।

 

इसके पश्चात, भुगतान में देरी और कानूनी प्रक्रियाओं के चलते ठेकेदार ने हडसन फॉर्मूला के आधार पर घाटे का आकलन कर मुआवजे की मांग को बढ़ा दिया। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, घाटा 2351.35 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बाद में ओवरहेड चार्ज, वार्षिक ब्याज एवं अन्य खर्चों को जोड़ते हुए 24 सितंबर 2024 को दावा 4645.59 करोड़ रुपये का कर दिया गया। कार्रवाई में देरी को देखते हुए, 5 सितंबर 2024 को ठेकेदार ने कोप्पल अदालत में याचिका दायर कर दावा 5219.76 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है।

 

राज्य सरकार पर संकट का असर

इस मामले में ठेकेदार द्वारा अदालत के दरवाजे खटखटाने के साथ-साथ मुआवजे की मांग के कई कैल्कुलेशन पेश करने से राज्य सरकार पर गहरा कानूनी संकट आ गया है। सरकारी लेखा समिति (Accounts Committee) ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से हस्तक्षेप करने की सिफारिश करते हुए इस मामले की गंभीरता पर प्रकाश डाला है।

 

निष्कर्ष

अनेगुंडी सस्पेंशन ब्रिज की इस त्रासदी से न केवल लोगों की जान गई, बल्कि वित्तीय और कानूनी विवाद भी एक नए स्तर पर पहुँच गए हैं। अब यह देखना है कि राज्य सरकार इस बढ़ती मांग का समाधान कैसे निकालती है और पीड़ित परिवारों एवं जुड़े पक्षों को न्याय सुनिश्चित करती है।

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